समर शेष के अनिवार्य औजारों का दस्तावेजऐसे वातावरण में, जब छंद कई आँखों की किरकिरी बनता जा रहा है, जब छंद को बँधाबँधाया, संकुचित करार देकर इसे अभिव्यक्ति के लिए अपर्याप्त बताया जा रहा है, कुछ लोग छंद के अनुशासन को निभाते हुए असीमित और अपरिमित भावों का सफल संप्रेषण कर रहे हैं। सच तो यह है कि विधाओं में कभी झगड़े नहीं होते, विधाओं के अवैतनिक और स्वयंभू अधिवक्ताओं की नोक-झोंक अवश्य संभव है। गीतों, मुक्तकों, कहानियों और...
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