'प्रसंगवश' प्रसंगहिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिका 'सम्बोधन' निरंतर पचास वर्षों तक निकलने के पश्चात किन्हीं कारणों से एक वर्ष तक स्थगित रही. २०१८ में जब पुनः 'अभिनव सम्बोधन' नाम से प्रकाशित होना प्रारंभ हुई तब एक दिन भाई क़मर मेवाड़ी साहब का फोन आया कि मुझे उसके स्थायी स्तंभ 'प्रसंगवश' के लिए निरन्तर लिखना है। 'प्रसंगवश' पत्रिका का एक चर्चित स्तंभ रहा, जिससे स्वयं प्रकाश और सूरज पालीवाल जैसे साहित्यकार जुड़े रहे थे। क़मर भाई के बाद...
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