Surjeet Kumar is Assistant Professor by profession and writer by passion. He believes, poems are the mode of expressions that bind the vision and emotions in wonderful phrases. Poems have an ability to decorate ambiance along with infusing strengths among people whenever s/he does not feel comfortable. He has been fond of writing on numerous topics such as love, empathy, thrilling, inspirational, loneliness, reflection, introspection and many more since his school days. He would like to amaze his readers by his writing style on contemporary topics. He is grateful to his readers and their opinions which support him to enhance his capacity in writing poems.
समाज की हवा को कुछ ताकतें अपनी सहुलियत के हिसाब से बदल रही है। आवाम को सुलाया जा रहा है, सच्चाई को मिटाने की कोशिश की जा रही है, हस्तीयों की चमक को धुमिल करने की चेष्ठा हो रही है। जो समझने योग्य है ही नही, उस पर ध्यान केंद्रित कर मुख्य धारा को मोड़ा जा रहा है। कितनी हैरान करने वाली बात है ना हम ये सब होता देख भी अनदेखा कर रहे है, जैसे हमे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता,जैसे हम चेतनाहीन से हो गए है, केवल सांसें ले रहे है।क्यों होने लगे है हम ऐसे, क्यों नहीं प्रभाव पड़ता अब हम पर, क्यों हमने अपनी आँख - कान को बंद किया हुआ है। मुझे ऐसे माहौल में घुटन सी होती है। मैं चुपचाप नहीं बैठ सकता, मैं हाथ पर हाथ नही रख सकता और ना ही मैं चुप रहूँगा। मैं वो लिखूंगा जो सत प्रतिशत सच हो, मैं वो बातें आपसे करना चाहता हूँ जिसमे झूठ के कोहरे को मिटाने का समर्थ हो और वही सब आपके समक्ष रखना चाहता हूँ जो आपको सोचने पर मजबूर करने को क्षमता रखता हो। प्रस्तुत पुस्तक में संकलित कविताऐं उसी सच की मात्र एक झलक है। आशा करता हूँ ये पुस्तक आपको जगाने में चिंगारी का काम करेगी।
Título : जागो तो सही...
EAN : 9798223742203
Editorial : Surjeet Kumar
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