कथित इस्लामी आतंकवाद के वैज्ञानिक (वैचारिक) खंडन-समाधान पर आधारित एकमात्र पुस्तक (नब्बे हजार शब्द) कहते हैं कि एक राक्षस था जिसका प्राण उसके जिस्म में न होकर एक तोते में रहता था। इस वजह से उसके जिस्म को बार बारबार नष्ट करने के बावजूद भी वह राक्षस फिर से ज़िंदा हो जाता था। ठीक इसी प्रकार से मौजूदा वक़्त की सबसे बड़ी वैश्विक समस्याओं में से एक आतंकवाद का प्राण भी उसके सरदारों या संगठनों में न होकर उसके विचारों में मौजूद...
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