कविताएँ सामान्यतः एक कवि के जीवन में सच्चे मित्र की भूमिका निभाती हैं जिनके साथ न केवल वो अपनी ख़ुशियाँ जाहिर कर सकता है बल्कि उनकी संगति में अपना जी हल्का करने में भी सहज अनुभव करता है। निजी जीवन की विडंबनाओं से लेकर सामाजिक प्रसंगों पर उसके विचारों तक, न जाने कितने संवाद वो अपनी कविताओं से करता है। इस पुस्तक के शीर्षक "...तुम किससे कहती होगी" में 'तुम' एक कवि का उसकी कविताओं के प्रति संबोधन है। ये विभिन्न विषयों...
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