भूमिकाकिन्नर समाज पर लिखे साहित्य का इतिहास अधिक पुराना नहीं है। सही मायने में हिन्दी में यह बीसवीं सदी के अन्तिम दो दशकों में हमारे सामने आना शुरु होता है। छुटपुट रूप में इससे पहले भी इक्का-दुक्का कहानियाँ अवश्य लिखी गईं, पर अधिकतर लेखकों का रुझान इस ओर नहीं रहा। हिन्दी में शिवप्रसाद सिंह की कहानियाँ -'बहाव वृत्ति' और 'बिदा महाराज', सुभाष अखिल की कहानी 'दरमियाना' (सारिका अक्तूबर 1980), कुसुम अंसल की कहानी 'ई मुर्दन का...
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