मानव सभ्यता का विकास इसी पावन धरा पर हुआ और देवों के विभिन्न अवतार भी इसी धरा पर हुए। विश्व को सभी प्रकार का ज्ञान भी भारतवर्ष ने ही दिया। जैसे-जैसे पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़ती गई वैसे-वैसे जरुरत अनुसार देश रूपी अन्य भूखण्ड खोजे गए, जहाँ बढ़ती आबादी के अनुसार मनुष्यों ने वहाँ शरण ली और अलग - अलग भूखण्डो पर अलग-अलग देश बसते चले गए और सभ्याताओं का विकास भी होता चला गया। कहते हैं कि भाग्य और कर्म तथा पुरुषार्थ...
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