'' जैसे ही मैं ने आप का चेहरा अपनी ओर किया. मैं चौंक गई. वे आप नहीं थे. यह देख कर मैं डर गई. मैं ने उसे दूर हटाने की कोशिश की. मगर, वह मुझ से जम कर चिपट गया था. वह केवल आईलवयू आईलवयू कहे जा रहा था. उस की सांसे बहुत गरम थी.
'' मैं ने बहुत कोशिश की. उस से छूटने की. मगर, उस की पकड़ से छूट नहीं सकी. उसे वास्ता दिया कि मैं एक ब्याहता स्त्री हूं. मैं अपने पति के लिए बैठी थी. मगर, वह नहीं माना. मैं बेबस सी उस की बांहों में छटपटाती रही.
'' उस ने अपने मन की मरजी पूरी कर ली. तब उस ने मुझे छोड़ा. मगर, तब वह मुझे छोड़ कर रोने लगा. उसे इस बात का दुख था कि उस ने अपने मनोवेग में वह सब कुछ कर लिया जो उसे नहीं करना चाहिए था.
'' वह मेरे पैर में लिपट गया. मुझे माफ कर दो भाभी. वह कहे जा रहा था. मगर, मेरे मुंह से निकला— तुम्हें माफ करने से मेरी इज्जत वापस नहीं आ जाएगी. मैं अपने पति के लिए तैयार बैठी थी उन्हें सब कुछ देना चाहती थी. तुम ने मुझे लूट लिया. अब मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नही रही.
''यह सुन कर वह रोने लगा. बोला— भाभीजी! मैं नालयक हूं. मुझे जीने का अधिकार नहीं है. मैं ने दुष्कर्म किया है. मुझे सजा मिलना चाहिए. तुम ऐसा करों कि पुलिस को बुला लो. मुझे उस के सुपुर्द कर दो. कह कर वह फुटफुट कर रोने लगा.
Título : संयम की जीत
EAN : 9781393062622
Editorial : Omprakash Kshatriya
El libro electrónico संयम की जीत está en formato ePub
¿Quieres leer en un eReader de otra marca? Sigue nuestra guía.
Puede que no esté disponible para la venta en tu país, sino sólo para la venta desde una cuenta en Francia.
Si la redirección no se produce automáticamente, haz clic en este enlace.
Conectarme
Mi cuenta