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Maharshis of Ancient India (Hindi)
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<p>ब्रम्हाजी के मानसपुत्र नारद सत्यलोक त्यजकर, पृथ्वी के लोगों का सुख-दुख जानने हेतु, दो बार पृथ्वी में जन्म लेते है। वे सदा भगवान् की संकीर्तन ओर वीणा वादन करते, और भू लोकसंचार करते थे। इस तरह की संचार करना उनके के लिए अपने भ्राता द्वारा दिया गया शृाप था। उन्होंने बालक ध्रृव को द्वादशाक्षरि मंत्र का उपदेश किया। महाराणी कयादु के गर्भवस्था में उनका रक्षण किया। "नारद भक्तिसूत्र" नामक एक ग्रंथ अति प्रसिद्ध है।</p>
Título : नारद
EAN : 9789389020359
Editorial : Bharatha Samskruthi Prakashana
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