कभी-कभी, धूल से भरे पत्र अलमारी में भूले पड़े रहते हैं, जो नम आँखों को जगाते हैं - कभी खुशी से, कभी दुख से। अगर वे यादें फिर से जीवंत हो जाएँ, तो मुझे एहसास होता है कि हम उन दिनों को फिर से नहीं देख सकते। हम उन पलों में वापस नहीं जा सकते। फिर भी, वह भावना फिर से उभर सकती है, जैसे पहले थी। लफ्जों की धूल, उन्हीं भावनाओं, यादों और पिछले अनुभवों का संकलन है।
Título : Lafzon ki Dhul
EAN : 9798223437369
Editorial : Writer's Arena
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