प्रेम- सिर्फ प्रेम होता है.... हां उसके रूप अनेक हो सकते हैं।
मां का प्रेम ममता, तो पिता का प्रेम एक भावना और आदर्श के रूप में, बहन का एक जिम्मेदारी का एहसास लिए तो पत्नी का समर्पण और त्याग का प्रतीक, पति का अपने फर्ज़ रूप में प्रेम के बहुत सारे रूप हैं।
लेकिन मेरी नजर में प्रेम रूह की गहराई का एक वो समुंदर है जिसमें प्रम तो समाहित है ही, साथ में उसकी गहराई में उसकी लहरों पर खुद उसके दिल को छूने वाली शरारतें और एक नर्म ओस की तरह पवित्र एहसास जब समा जाता है तो उसकी हर लहर पर मोहब्बत के तराने अपनी एक अलग धुन में मचलने लगते हैं ओर अपनी उन लहरों के साथ-साथ हर प्रेमी के दिल में मंदिर में बजने वाली पवित्र घंटियों का एहसास जगाते हैं।
पेम वासना रहित है उसमें सिर्फ प्रेम है जो निस्वार्थ बिना किसी शर्त और अधिकार के अपनी पूरी सुगंधित वास के साथ समाहित रहता है..... और निरंतर झरना बनकर रूह की गहराई को नम रखता है जिससे उसको वो शीतल और मधुर बनाए रखता है।
एक मुकम्मल प्रेम बस दो हृदय के बीच जीता है अपनी ही धुन में, वो उस अमृत के समान है जो कभी मरने नहीं देता है आनी धुन में, वो उस अमृत के समान है जो कभी मरने नहीं देता है। वो अजर है, अमर है और शाश्वत रहता है कृष्ण की तरह....
आजकल जिस तरह से हमारी धरती पर लोग अपने रिश्तों में प्रेम को बचाकर नहीं रख पा रहे हैं वो एक चिंता का विषय तो है ही..... साथ में एक डर भी है - हृदय की सम्वेदनाओं के ख़़त्म होने पर जो एक जंगल उस जगह हदय पर उगेगा वो जंगल किस रूप का होगा उस जंगल में कितनी तरह के कांटे होंगे, उसमें जो एक सड़ांध होगी, जो अपने व्यवहार, संवादों और मुंह से निकलने वाली बू के द्वारा न जाने कितने ही लोगों को घायल और जीते जी मारने का प्रयास करेंगे।
आज जरूरत है प्रेम को बचाकर रखने की....... फिर वो चाहे किसी भी रिश्ते के रूप में ही क्यों न हो....... मैंने प्रेम को अपने ढंग से बचाया है आप प्रेम को कैसे बचाना चाहते हैं इस पर जरूर विचार करें।
आओ ! कि प्रम को बचाकर रख ले
मां के सीने में एहसास बनकर
पिता की बांहों का झूला बनकर
दोस्तों की प्यार भरी कुछ गालियों में
या, प्रेमी- प्रेमिका के उस पवित्र स्पर्श में
जिस जगह पर सिर्फ़ प्रेम और सिर्फ़
प्रेम ही ठहरा हो अपनी रूह तक............
कुसुम पालीवाल
Título : Do Mahine Chaubis Din
EAN : 9789393028402
Editorial : INDIA NETBOOKS indianetbooks
El libro electrónico Do Mahine Chaubis Din está en formato ePub
¿Quieres leer en un eReader de otra marca? Sigue nuestra guía.
Puede que no esté disponible para la venta en tu país, sino sólo para la venta desde una cuenta en Francia.
Si la redirección no se produce automáticamente, haz clic en este enlace.
Conectarme
Mi cuenta