उत्तर प्रदेश के उन्नाव और रायबरेली जनपदों के मध्य में बसे बैसवाड़ा क्षेत्र के ग्राम "बेहटा कलाँ" नामक यह रचना कथा साहित्य के नये गवाक्ष खोल रही है जहाँ पर उपन्यास किस्सागोई तथा रिपोर्ताज सब एक साथ उपस्थित हैं। नारी जीवन की संवेदना के समाजशास्त्रीय शोध की सुगंध भरी इस रचना की नायक अन्नपूर्णा गज़ब की महिला है जो पानी की तरह तरल मृदुल और सहनशील है तथा किसी भी बाधा को पार करना जानती है। परिवार की सेवा के प्रति समर्पण ही जिसका जीवन है- सर्वथा मौन ही जिसकी भाषा है- संत्रास जिसका दामन कभी नहीं छोड़ता। उसका जीवन विगत शताब्दी के खानदानी, संस्कारी परिवारों की चित्र वीथिका है।
बेहटा कलाँ में बैसवाड़ा की बोलचाल, भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज,कहावतें, मुहावरे सब कुछ प्रतिबिंबित और प्रवाहित है। लेखकीय वैदुष्य के कौतुक कहीं नहीं हैं। शब्दावली तो गौर-तलब है। उतरते-उभरते शब्द प्रतीक कहीं पर तो बेहद कोमल और रेशमी हैं तो कहीं पर खुरदुरी खादी के जैसे भी लगते हैं।
Título : Behta Kala
EAN : 9798215737279
Editorial : INDIA NETBOOKS indianetbooks
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