रवि कांत अनमोल विविधताओं भरे लेखक हैं | एक तरफ जहां शायरी पर उनकी पकड़ है वहीं दूसरी ओर गद्य लेखन पर भी वे अधिकार रखते हैं | वे मूलतः शायर हैं किन्तु साथ साथ उन्होंने कहानी, व्यंग्य इत्यादि भी लिखे हैं| पिछले 22 साल से ग़ज़ल कह रहे हैं| उन की कई गज़लें और गीत रिकॉर्ड हो चुके हैं और एक ग़ज़ल संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है| ग़ज़ल पर उनके लघु शोध प्रबंध के आधार पर उन्हें एम फिल की डिग्री प्रदान की गई है|
भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आज जब भारत विकास का पर्याय बन चुका है ऐसे में विंस्टन चर्चिल की वह भविष्यवाणी सरासर गलत सिद्ध हुई है जिस में उन्होंने भारतीयों को देश चलाने में अयोग्य माना था | इसी बात को केंद्र में रख कर लिखी गई रवि कान्त अनमोल कान्त अनमोल की यह हास्य एकाँकी एक तरफ जहां हास्य व्यंग्य के साथ भारत की विकास यात्रा के दर्शन कराती है वहीं दूसरी तरफ भारत के विकास पर प्रश्न उठाने वालों के सवालों के जवाब भी प्रस्तुत करती है | कई मंचों पर सफलतापूर्वक प्रस्तुत की जा चुकी यह एकाँकी शुरू से अंत तक पाठक और दर्शक को बांध कर रखने में सक्षम है | हास्य और तथ्यों से परिपूर्ण एकाँकी को आजादी के अमृत महोत्सव पर लेखक की देशवासियों को एक भेंट माना जा सकता है
Título : चर्चिल - हाज़िर हो
EAN : 9798215125588
Editorial : Amit Sharma
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