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<p>महाराज अज का पुत्र थे दशरथ। इन की तीन पत्नियाँ कौसल्या, कैकेयी और सुमित्रा थी। संतान पाने के इच्छुकता से राजा दशरथ ने पुत्रकामेष्ठी यज्ञ किया और राम, लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न नामक चार पुत्रों को प्राप्त किया। राम से उनका अतिशय प्यार था। वह उसे अपने आँखों के सामने से जाने नहीं देते थे। कई वर्ष पहले...
रामायण का काल त्रेतायुग माना जाता है। पितृवाक्य परिपालक श्रीराम, भाई में भक्ति-प्यार-त्याग संप्पन्न लक्ष्मण, असहायक दशरथ, पतिपरायणा सीता, रामभक्त दासानुदास हनुमान, भाई भाइयों के बीच द्वेष के प्रतीक वालि-सुग्रीव, शिवभक्त होने पर भी विषयलंपट रावण, जन्म से राक्षस होनो पर भी हरिभक्त विभीषण - ये सभी पात्र हमारी आँखों...
महान ऋवि अत्री सप्त ऋषियों मे से एक है। वे ब्रह्माजी के मानस पुत्र हैं। इनकी पत्नी का नाम अनसूया। अनसूया देवी कि तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा-विष्णु-महेश्वर् जो त्रिमूर्ती भी कहलाते हैं, अनसूया के गर्भ से पुत्र रूप से जन्म लेते है। यह चन्द्र, दत्तात्रेय और दुर्वास के नाम से जाने जाते हैं। महा पतिव्रता नारी कहलानेवाली सुमति के...
अंजना और केसरी दंपतियों को वायुदेव का वरदान से जनित पुत्र थे हनुमान। वह रुद्रांश संभूत थे। एक बार सुर्यग्रहण काल में सूर्योदय के समय सूर्य को एक फल समझकर उसे खाने की अपेक्षा से हनुमान ने अंतरिक्ष तक छलांग लगाई। उसी समय राहु भी सूर्य को निगलने आगे बढ़रहा था। तब हनुमान सूर्य को छोड़कर राहु की...
महर्षि दुर्वास ने कुन्ति को उसकी विवाह से पूर्व जो वरदान दिया था उसे कुन्ती परीक्षण करना चाहती थी। उसने सूर्यदेव का आहवान किया। भगवान् सूर्य की अंश से कर्ण का जन्म हुआ। लोक निंदा कि डर से कुन्ती शिशु को एक पेटी में लिटाकर नदी में बहादिया। तत पश्चात् उस शिशुको अतिरथ नाम का एक सारथी को मिला। उसने उसे पाल...
राजा दशरथ ने संतान प्राप्त करने पुत्रकामेष्ठी यज्ञा किया। उस से प्राप्त खीर का सेवन करके महाराणी कौसल्य ने राम को जनम दिया। श्रीराम महाविष्णु की दस अवतारों में से एक है। उसके छोटे भाई थे भारत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। राम, रामभद्र, रामचन्द्र, रघुनाथ ऐसे कई नाम से परिचित श्रीराम विश्वामित्र की यागरक्षणा करने लक्ष्मण के...
ब्रम्हाजी के एक और मानसपुत्र, सारे वेद-शास्त्रो के ज्ञाता, इन के अरुंधति थी। इन की सलहा के अनुसार राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ ने विश्वामित्र के साथ भेजते है। वे राजा दशरथ के कुलगुरु थे। सौदास अपने शाप की वजह से राक्षस का जन्म पाकर वसिष्ठ जी के पुत्रों का वध करता है। पुत्रशोक से पीडित वसिष्ठ जी आत्महत्या करने...
श्रीराम सीता से विवाह कर के अयोध्या लौट आए। राजा दशरथ उनका राज्यभिषेक करने का निश्चय करते हैं। परंतु राम की छोटी माता महाराणी कैकेयी द्वारा दशरथ से दो वरदान माँगलिया एक, राम का वनवास और दूसरा भरत का राज्याभिषेक। पिता द्वारा कैकयी को दिया गया वचन रखने के लिए राम, लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास करने...
महर्षि मृकंडु के पुत्र थे मार्कंडेय। अपने अल्पायु होने का विचार जानकर वे महादेव शिव की घोर तपस्या करते हैं। उनसे अनुग्रहित होकर, मृत्युंजय महामन्त्र का जप करके यमपाश से मुक्त होजाते हैं। महाप्रलय के काल में बाल मुकुंद की नाभी पर ब्रम्हांड को देखकर आश्चर्य चकित होगये। वे योगविद्या की सहायता से प्राणवायु को अपन वश...
<p>ब्रम्हाजी के मानसपुत्र नारद सत्यलोक त्यजकर, पृथ्वी के लोगों का सुख-दुख जानने हेतु, दो बार पृथ्वी में जन्म लेते है। वे सदा भगवान् की संकीर्तन ओर वीणा वादन करते, और भू लोकसंचार करते थे। इस तरह की संचार करना उनके के लिए अपने भ्राता द्वारा दिया गया शृाप था। उन्होंने बालक ध्रृव को द्वादशाक्षरि मंत्र का...
महर्षि अगस्त्य का जन्म महाविष्णु की अनुग्रह से हुआ। वे सकल शास्त्रज्ञ, वेद-वेदाँगों के ज्ञानी थे। जब इल्वल-वातापि नाम के दो राक्षस राहगिरो को बिना कारण संहार करते थे उनका संहार अगस्य से हुआ। विंध्य पर्वत जब अपनी ऊँचाई को बढ़ा रहा था तब उस पर महर्षि अगस्त्य ने रोक लगाई। युद्ध भूमी पर श्रीराम को "आदित्य हृदय"...
सप्तर्षियों मे से ऐक हैं महर्षि गौतम। त्रोता युग और द्वापर युग में थे। देवेंद्र से वंचित अपनी पत्नी अहल्या को शाप दिया। और देवेन्द्र को भी शापदिया। अहल्या जब श्रीराम से शाप मुक्त हुई तब गौतम महर्षि हिमालय से वापस अपने आश्रम आते हैं। ऐसी कई रोचक कहानीयाँ इस पुस्तक में है।
पाँचाल नरेश द्रुपद की पुत्री जो यज्ञ कुंड की मध्यभाग से जनित, कृष्णें, याज्ञसेनी, द्रौपदी, पाँचाली ऐसे कई नामों से प्रसिद्ध हुई। जब उसका जन्म हुआ तब आकाशवाणी हुई की "यह कौरवों के विनाश का कारण होगी। कौरवों को घोर विपदा सामना करना पडेगा।" स्वयंवर में अर्जुन विजय प्राप्त कर ने पर भी कुंती की सुझाव के अनुसार वह...
<p>रामायण की रचयैता है वरकवी महर्षि वाल्मीकि। रत्नाकर राहगिरों को लूटनेवाला एक डाकू था। महर्षि नारद की उपदेश से उसने तपस्या किया। तब उसके शरीर पर वल्मीक बनने लगा। तपस्या के पश्चात् वह उस से बाहर निकलके आया इसलिए उसका नाम वाल्मीकी हूआ। एक बार एक नर और मादा पक्षियों की जोड़ा वन विचरण...
सुमित्रा पुत्र थे लक्ष्मण, लक्ष्मण-शत्रुघ्न सुमित्रा के जुड़वा संतान थे। लक्ष्मण को आदिशष का अवतार भी मानाजाता है। विश्वामित्र, यज्ञ रक्षणा के लिए राम-लक्ष्मण को अपने साथ ले जाते हैं। सीता स्वयंवर के पश्चात् लक्ष्मण का विवाह ऊर्मिला से होतीहै। राम जब चौदह वर्ष की वनवास करने निकलते है तब लक्ष्मण भी उनके साथ चलता है। शूर्पनखी...
कैकसी और विश्ववसु का प्रथम पुत्र था रावण। ब्रह्माजी के पुत्र पुलस्त्य रावण के पितामह थे। कुंभकर्ण और विभीषण रावण के भाई थे। इनकी एक बहन थी शूर्पनखा। रावण का दस शीर्ष के साथ जन्म हुआ था। उसे ब्रह्मजी से वरदान प्राप्त था की वह नर और वानर को छोडकर किसी अन्य से उसकी मृत्यु नहीं होगी। इससे रावण और शक्तिशाली...
<p>महाराज जनक की पुत्री सीता। विष्णु पत्नी लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता हैं। जब राजा जनक यज्ञ करने पृथ्वी पर हल चला रहे थे तब एक पेटी मिली। उस के अंदर एक नवजात शिशु थी जिसे राजा जनक ने 'सीता' का नाम दिया। इसकी अन्य नाम हैं, मैथिली, जानकी वैदेही.... श्रीराम द्वारा शिवधनुष का भंग होनेपर...
'पृथा' कुंती का दूसरा नाम है। वह वसुदेव की छोटी बहन, श्रीकृष्ण की माता देवकी की मौसी थी। इसे राजा कुंतीभोज ने शूरराज की पुत्रि के रूप में गोद लिया था। उसने अपने विवाह से पूर्व महर्षि दूर्वास की सेवा अत्यंत निष्ठता पूर्वक किया और उसके बदले कई वरदान भी प्राप्त किया। इस के कारण वह किसी भी देवता का निमंत्रण करके...
यमधर्म के अंश से जनित, कुन्ती का प्रथम पुत्र था धर्मराज युधीष्ठिर। कष्टसहिष्णुता, शौर्यता और करुणा मूर्ति था युधिष्ठिर। अपने नाम के अनुसार वह धर्मप्रिय था और उसी मार्ग से चलकर सब के प्यार का पात्र था। जब कौरवों ने पाण्डवों को जूआ खेलने के लिए आमंत्रित किया तब धर्मराज ने अपनी पूरे संपत्ती, राज्य और पत्नी द्रौपदी को...
अगर आत्मविश्वास, ध्यैर्य और असाध्यकार्य को अपने मनोबलता और धृढ़ता से सिद्ध करना इसका काइे सही उदाहरण हैं तो वह ब्रम्हर्षि विश्वमित्र है। ब्रह्मर्षि वसिष्ठ से कामधेनु छीनने की कोशिश कर, असफल होकर वे घोर तपस्य करके ब्रम्हर्षि का पद प्राप्त किया। वसिष्ठ से प्रशंसित विश्वमित्र राजा त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेजने की योजना बनाते...
श्री महाविष्णु के दस अवतारों मे एक है श्री परशुरामावतार । जमदग्नी और रेणुका के पुत्र परशुराम जन्म से ब्राह्मण थे पर क्षत्रिय गुणों से संपन्न थे। पिता जमदग्नी का एक क्षत्रिय राजा ने विनाकारण जब वध किया वे क्रोधित होकर सारे क्षत्रिय वंशजो संहार का संकल्प किया। इक्कीस बार उन्होंने भू प्रदक्षिणा की और क्षत्रियों का संहार किया। त्रेतायुग...
महर्षि अत्रि-अनसूय दंपतियों से शिवजी की वरदान से जनित महर्षि दुर्वास है। कुंती की सेवा मनोभाव से आनंदित होकर उसे अनुग्रह किया। वे दर्योधन से प्रेरित होकर, पाण्डवों के आतित्य स्वीकार करने अपने दस हजार शिष्यों सहित पाण्डवों, के आश्रम में, द्रौपदी के भोजन के पश्चात चलेगये। पाण्डवों के पास एक अक्षय. पात्र था जो सूर्य...
<p>महाभारत का रचैताश्री वेदव्यास हैं। वेदों का चार भागों मे विभाजन कर के उन्होंने यह नाम प्राप्त किया। ऋषी पराशर के पुत्र वेदव्यास का महाभारत के चरित्र में अत्यंत प्रमुख पात्र है। विपदा या संकट की स्थिति में व्यासजी वहाँ त्वरित उपस्थित होते और उसे सुलझाते थे। ये श्री महाविष्णु का अवतार होने का यह भी पुराणों में...
रावण का अनुज था विभीषण। वह एक दैवभक्त धर्मी पुरुष था। रावण सीतापहरण कर लंका लाने के पश्चात् वह उन्हें बहुत समझाने की प्रयत्न करता है। परन्तु रावण उसका भरी सभा में अपमान करता है। इससे दुखित विभीषण अपने कुछ साथियों के साथ लंका छोड़कर श्री राम के शरण में आजाता है जो उस समय लंका के बाहर अपने...
इस पुस्तक में पाँच मनोरंजक कहानियां हैं। सभी कहानियों के विषय – वस्तु अलग अलग हैं । ये कहानियाँ मेरे सामाजिक परिवेश के प्रेक्षण के आधार पर कल्पना से गढ़ी गईं हैं। -लेखक
कोचीन की पृष्ठभूमि में लिखी गयीं सवेदनशील ,सामाजिक और मनोरंजक कहानियाँ ।
फिर टी वी आ गया और जमाने भर पे छा गया । हमारी बस्ती में भी हर घर में टी वी लग गया । टी वी पर दिखाये जाने वाले कार्यक्रमों में सबसे अधिक लोकप्रिय थे चित्रहार और सिनेमा । फिल्म में तरह तरह की कहानियाँ और दृश्य दिखाये जाते।
गुरु विष्णुदेव एक सिद्ध योगी है जिनका हिमालय में एक स्थान पर आश्रम है। वह विद्यार्थियो को योग की शिक्षा देते हैं। वह आठ नवजवान सिद्ध योगियों का एक विशेष दल बनाने की योजना बनाते है जिनकी यौगिक शक्तियों का उपयोग वे देश पर आने वाली विपत्ति के समय जन रक्षा और जनसेवा के कार्य में कर सकें।
"बस में कोरोना रोगी?" एक दिल दहलाने वाला उपन्यास जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा ...---वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं हिन्दी लेखक डॉ. भारत खुशालानी (Ph.D) का जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। इन्होंने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, अमेरिका (California University, America) से वर्ष 2004 में डॉक्टरेट (Ph.D)...
भारत देश, जो विश्व की सभ्यता के उद्भव का केंद्र रहा है। जहाँ की संस्कृति अनन्य है। किसी भी देश की स्त्री को समाज में मिलने वाला सम्मान उस देश की सभ्यता और प्रगति का आईना होता है। इस भारत देश की नारी शांति का प्रतिरूप है। करुणा, दया, स्नेह, और सौंदर्य का सागर भी है। प्रकृति ने पीड़ा और कष्ट सहने की क्षमता जो...
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