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मेरी आगरा यात्रा
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हम वापिस रेलवे स्टेशन पहुँच गए। वहाँ भीड़ कम नही हुई थी। रात के साढे नौ बज गए थे। हमें बेंचों पर जगह नहीं मिली हम पूरे प्लेटफार्म नम्बर एक पर धूमें। हम खड़े नहीं रह सकते थे। परेशान थे और चाह रहे थे कि कोई ट्रेन आ जाए और यात्री उठकर उस पर चढ़ जाएं पर ट्रेन आने के बाद भी बेंच खाली नहीं हो रही थीं। बड़ी भारी दिक्कत थी, अब कहाँ बैठा जाए। बैगो का बजन बहुत ज्यादा था। हमने लोगों के बीज टीनों के छप्पर को संभाल रहे लोहे के ट्रस कालमों के चबूतरों पर जगह बनानी पड़ी, उन पर भी कई लोग बैठे थे। हमने बैग रखा और थोड़ी शांति ली, सोचा था कि कुछ देर बेंच पर टिक कर बैठेगे पर चबूतरों पर ही बैठना पड़ा।
हम कुछ देर बैठे रहे। कुछ लोग मोबाइल चार्ज करते दिखे । वहाँ जगह खाली थी। हम दोनों ने भी मोबाइल चार्ज लगा दिए, मेरा फोन आधे घंटे में ही चार्ज हो गया। मैंने निकाल लिया। भूरा का भी 72% हो गया , उसका भी निकाल लिया अब हम बेफिक्र होकर मोबाइल चला सकते थे अब हमें उनके डिस्चार्ज होकर बंद होने का डर नही था यदि बंद होते भी तो हम दोबारा चार्ज कर लेते। हम दोनों ने ही स्टेटस पर फोटो चिपका दिए।
Título : मेरी आगरा यात्रा : ताजमहल, आगरा किला और पेठा भाग-1
EAN : 9798227545015
Editorial : Sahitya press
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