हम वापिस रेलवे स्टेशन पहुँच गए। वहाँ भीड़ कम नही हुई थी। रात के साढे नौ बज गए थे। हमें बेंचों पर जगह नहीं मिली हम पूरे प्लेटफार्म नम्बर एक पर धूमें। हम खड़े नहीं रह सकते थे। परेशान थे और चाह रहे थे कि कोई ट्रेन आ जाए और यात्री उठकर उस पर चढ़ जाएं पर ट्रेन आने के बाद भी बेंच खाली नहीं हो रही थीं। बड़ी भारी दिक्कत थी, अब कहाँ बैठा जाए। बैगो का बजन बहुत ज्यादा था। हमने लोगों के बीज टीनों के छप्पर को संभाल...
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